यूपी के बरेली में विषयों पर आधारित बदले नियमों के चलते
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों के 34 शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।
इनमें 18 पुरुष शिक्षक और 16 महिला टीचर शामिल हैं। वर्षों से नौकरी कर रहे शिक्षकों को इससे बड़ा झटका लगा है। शिक्षकों ने कोर्ट की शरण में जाने का फैसला किया है।
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती के विषय में जुलाई 2020 में नई गाइडलाइन जारी हुई थी। इस गाइडलाइन के अनुसार कोर सब्जेक्ट हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में पूर्णकालिक शिक्षक के रूप में सिर्फ महिलाओं को रखने का प्रावधान है।
जबकि सहगामी विषयों कला, संगीत, खेल, क्राफ्ट आदि के लिए अंशकालिक शिक्षक-शिक्षिकाओं को तैनात करना है। इसको पूर्व की नियुक्ति पर भी लागू कर दिया गया। बदले नियमों के फेर में जिले के 18 कस्तूरबा स्कूलों में तैनात 34 शिक्षक-शिक्षिकाएं फंस गए। डीएम की सहमति के बाद इनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं।
तीन वार्डन को भी गंवानी पड़ी नौकरी
नियमों के चक्कर में तीन वार्डन भी आ गई हैं। यह तीनों वर्ष 2008 में पूर्णकालिक शिक्षिका के रूप में तैनात की गई थी। इनके विषय कॉमर्स को मान्य नहीं किया गया।
इस कारण सेवा समाप्त कर दी गई। तीन अन्य पूर्णकालिक टीचर के साथ ही एक उर्दू शिक्षिका की भी सेवा खत्म की गई है। शेष 27 अंशकालिक शिक्षकों को भी नौकरी से मुक्त कर दिया गया है।
विषयों के फेर में फंस गए शिक्षक
बदले नियमों के अनुसार जब समीक्षा हुई तो सहगामी विषयों की जगह कोर सब्जेक्ट या अन्य विषय के शिक्षक तैनात मिले। महिला के पद पर पुरुष कार्य करते हुए पाए गए। एक ही विषय के एक से ज्यादा शिक्षक भी हो गए।
शिक्षकों को कहना है, पहले जब भर्ती की गई थी तब पदों और विषयों का आंकलन इस तरह से नहीं किया गया था। नए नियम को नए शिक्षकों पर लागू करना चाहिए। हम लोग इसके विरोध में कोर्ट जाएंगे।
34 शिक्षक-शिक्षिकाएं पाए गए नियम विरुद्ध
बीएसए विनय कुमार ने बताया कि राज्य परियोजना कार्यालय से प्राप्त निर्देश के क्रम में कस्तूरबा गांधी विद्यालयों के शिक्षकों की समीक्षा कराई गई थी।
इसमें 34 शिक्षक-शिक्षिका नई गाइडलाइन के अनुसार नियम विरुद्ध पाए गए। उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।
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