बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से लागू नियमों की मार सबसे
अधिक प्रयागराज में नियुक्त परिषदीय सहायक अध्यापकों पर पड़ी है।
एक ओर जहां प्रदेश के अधिकांश जिले में 2043 में नियुक्त सहायक अध्यापकों को प्रमोशन देकर प्रधानाध्यापक बना दिया गया है, वहीं प्रयागराज में 2008 में नियुक्त सहायक अध्यापकों को अंतिम बार प्रधानाध्यापक के पद पदोन्नति हुई है।
यहां 2009 से नियुक्त शिक्षकों को आज भी प्रमोशन का इंतजार है।
प्रदेश के सवा लाख से अधिक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों के पद खाली हैं।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन आने वाले विद्यालयों में सरकार की ओर से 150 तक छात्र संख्या वाले प्राथमिक विद्यालयों और 100 तक छात्र संख्या वाले उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पद का सृजन नहीं किया गया है।
प्रधानाध्यापकों के पद सृजित नहीं होने से प्रदेश के सबा लाख से अधिक विद्यालयों में इंचार्ज प्रधानाध्यापकों से काम चल रहा है।
विद्यालयों में तैनात सहायक अध्यापकों को इंचार्ज प्रधानाध्यापक का प्रभार तो दे दिया जाता है परंतु उन्हें अलग से वेतन आदि का लाभ नहीं दिया जाता है।
इस मामले को 8 जुलाई को विधान परिषद सदस्य डॉ. जयपाल सिंह एवं केदार नाथ सिंह ने उठाया।
विधान परिषद सदस्यों ने कहा कि प्रधानाध्यापकों के पदों का सृजन नहीं होने से बेसिक शिक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यह शिक्षा व्यवस्था के साथ शिक्षकों के साथ अन्याय है।
प्रमुख सचिव को भेजे पत्र में इन दोनों सदस्यों ने सवाल उठाया है कि प्रधानाध्यापक के बिना सवा लाख से अधिक विद्यालयों में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।
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