सरकारी प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादले
इस वर्ष होने की उम्मीद नहीं है।
अभी बेसिक शिक्षा विभाग ने जिले के अंदर समायोजन के लिए प्रस्ताव भेजा है।
विभाग में सहमति बन गई है कि समायोजन होने तक तबादले नहीं किए जाएंगे।
इससे पहले दिसम्बर, 2020 में सरकार ने लगभग 22 हजार शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादले किए थे। पिछले वर्ष लगभग 69 हजार शिक्षक तबादले से वंचित रह गए थे।
इन तबादलों के लिए 2019 में आवेदन लिए गए थे और नए में इन्हें जनवरी में तैनाती दी गई है। जिले के अंदर समायोजन 2019 के बाद नहीं हुआ है।
बेसिक शिक्षा विभाग जिले के अंदर समायोजन दो भागों में करेगा। पहला रिक्त स्कूलों की संख्या के विकल्प मांगेगा और शिक्षकों की इच्छानुसार उन्हें समायेाजित करेगा।
वहीं इसके बाद एकल या स्कूलों की रिक्तियों के मुताबिक बिना विकल्प लिए शिक्षकों को पदास्थापित करेगा। इसके लिए मानक तय कर दिए गए हैं।
हालांकि शिक्षक अंतरजनपदीय तबादलों के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं।
पिछली बार 68500 शिक्षक भर्ती के शिक्षकों का तबादला नहीं हो पाया था क्योंकि हाईकोर्ट ने पुरुष अध्यापकों को नियुक्ति के पांच साल व महिला शिक्षकों को दो साल पूरा होने के बाद ही तबादला देने पर निर्णय दिया था। इस बार महिला शिक्षिकाएं इस दायरे में आ रही थीं।
शिक्षाविद करते हैं विरोध--
शिक्षाविदों का मानना है कि सरकार को इस तरह के तबादलों से बचना चाहिए क्योंकि इससे पिछड़े जिलों में शिक्षकों की संख्या कम हो जाती है।
स्कूल शिक्षकविहीन तक हो जाते हैं। जब भर्तियां होती हैं तो बागपत का अभ्यर्थी लो मेरिट के कारण श्रावस्ती में भी तैनाती ले लेता है लेकिन वह तुरंत तबादले के लिए चक्कर काटने लगता है।
यदि 5 से 7 साल का ठहराव पहली नियुक्ति में बना दिया जाए तो विभाग को इस अनर्थक कवायद से निजात मिलेगी।
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