राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के निजी स्कूलों के संगठनों ने दिल्ली सरकार से 500 करोड़ से अधिक के मुआवजे की मांग की है।
निजी स्कूलों के संगठनों ने आरोप लगाया है कि बिना टीसी कटाए निजी से सरकारी स्कूल में दाखिला देने की दिल्ली सरकार की नीति से बड़ी संख्या में छात्रों ने बिना फीस दिए ही निजी स्कूल छोड़ा है।
ऐसे में निजी स्कूलों के पास शिक्षकों व स्कूल संचालन का भी फंड नहीं बचा है।
2 लाख से अधिक छात्रों ने बिना टीसी कटाए ही स्कूल छोड़ा, फीस के नुकसान की भरपाई करे दिल्ली सरकार निजी स्कूलों के संगठन नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायन्स (निसा) के नेतृत्व में अफोर्डेबल प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन (एप्सा ), दिल्ली इंडिपेंडेंट स्कूल्स एसोसिएशन (डीसा), साउथ दिल्ली मैनेजमेंट स्कूल्स एसोसिएशन (एसडीएमएसए) और प्राइवेट लैंड पब्लिक स्कूल एसोसिएशन (पीएलपीएसए) समेत तमाम स्कूलों ने सोमवार को दावा किया है कि कोरोना काल में 2 लाख से अधिक छात्रों ने बिना टीसी कटाए निजी स्कूल छोड़ा है।
जिसके लिए दिल्ली सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं। निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि स्कूली संगठनों के साथ कि निजी स्कूल संचालकों को हुए नुकसान के लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार है।
ऐसे में वह फीस के नुकसान की भरपाई के लिए दिल्ली सरकार पर 520 करोड़ रुपए का दावा ठोकेंगे।
उन्होंने कहा कि बिना फीस भरे छात्रों के स्कूल छोड़ने से निजी स्कूलों पर अपने खर्चे भी निकालने का संकट गहरा गया है। छोटे और मंझले स्तर के स्कूल पहले ही बंद होने के कगार पर थे, अब तो उनका मनोबल ही टूट गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार अपने स्कूलों में एक बच्चे पर करीब 30 हजार रुपए खर्च करती है। लेकिन शिक्षामंत्री की घोषणा से बजट स्कूलों के करीब 2 लाख बच्चे फीस दिए बिना सरकारी स्कूलों में शिफ्ट हो गए हैं। इससे प्राइवेट स्कूलों को लगभग 520 करोड़ रुपये की फीस का नुकसान हुआ है।
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