झारखंड में कक्षा 1 से लेकर 8 तक शिक्षक भर्ती परीक्षा यानी TET में अब वही उम्मीदवार बैठ पाएंगे, जिन्होंने राज्य से ही
मैट्रिक और इंटरमीडिएट के एग्जाम पास किये हैं। साथ ही, हर जिले में बोली जाने वाली स्थानीय भाषा का ज्ञान होना भी अनिवार्य है। इसके लिए विस्तृत अधिसूचना जारी कर दी गई है।
झारखंड में क्लास 1 से 5 और क्लास 6 से 8 में शिक्षक नियुक्ति की योग्यता निर्धारित करने के लिए राज्य सरकार ने झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा नियमावली 2022 बनाई है।गुरुवार को हुई राज्य सरकार की कैबिनेट की बैठक में इस नियमावली को मंजूरी दे दी गयी है। राज्य सरकार ने पूर्व में तय किये गये शिक्षक पात्रता परीक्षा नियमावली में कई संशोधन किये हैं। इसमें दो बड़े संशोधन हैं।
पहला संशोधन यह है कि इस पात्रता परीक्षा में शामिल होनेवाले उम्मीदवारों को झारखंड से ही मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई करना अनिवार्य है। वहीं, दूसरा बड़ा संशोधन जनजाति और क्षेत्रीय भाषा को लेकर है।
क्षेत्रीय भाषा की जानकारी होना आवश्यक
उम्मीदवार इस परीक्षा में शामिल होने के लिए जिस जिले से शामिल होंगे, उन्हें उस जिले में निर्धारित की गयी जनजातियों और क्षेत्रीय भाषा की जानकारी होना आवश्यक होगा। पात्रता परीक्षा में सफल होने के लिए कैटेगरी के अनुसार, उम्मीदवारों का न्यूनतम प्राप्तांक और कुल प्राप्तांक निर्धारित किया गया है।
इसके तहत सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार को न्यूनतम 40 फ़ीसदी अंक के साथ 60 फ़ीसदी कुल प्राप्तांक स्कोर करना होगा। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए न्यूनतम प्राप्तांक 30% और कुल प्राप्तांक 50% तय किया गया है।
कितने अंक प्राप्त करने जरूरी?
ओबीसी कैटेगरी के उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम प्राप्तांक 35 फीसदी और कुल प्राप्तांक 55 फीसदी निर्धारित किया गया है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उम्मीदवारों को न्यूनतम 35 फीसदी अंक के साथ 55 फीसदी कुल प्राप्तांक लाने होंगे।वहीं, दिव्यांग कैटेगरी के उम्मीदवार का न्यूनतम प्राप्तांक 30 फीसदी और कुल प्राप्तांक 50 फीसदी तय किया गया है।
नोटिफिकेशन के अनुसार, अब शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करनेवाले उम्मीदवारों का सर्टिफिकेट आजीवन मान्य होगा।साथ ही ऐसे उम्मीदवार जिन्होंने 2013 और 2016 में झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की है, उनके सर्टिफिकेट की मान्यता भी आजीवन रहेगी।
हालांकि, झारखंड हाई कोर्ट में नियमावली से संबंधित मामला भी चल रहा है जिसको JSSC के द्वारा अधिसूचित किया गया था। कोर्ट ने पूछा था कि आखिर यहां के लोग बाहर पढ़ने जाते हैं तो वे क्यों एलिजिबल नही होंगे।
उर्दू को सेकंड लैंग्वेज रखा गया है लेकिन हिंदी, भोजपुरी, मगही और संस्कृत उस लिस्ट में नहीं है. इस मामले में सरकार ने बाकायदा एफिडेविट फइल किया है।
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