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राजधानी में कोरोना के साथ ब्लैक फंगस का कहर तेज, 18 घंटे में चार मरीजों की सांसें थमी, 55 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि

राजधानी में ब्लैक फंगस का कहर तेज हो गया है। केजीएमयू में


18 घंटे में चार मरीजों की सांसें थम गई। 

अब तक 55  मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हो चुकी है। इनमें सात मरीजों की मौत हो चुकी हैं। केजीएमयू में ब्लैक फंगस के 34 मरीज भर्ती हैं। 

सोमवार रात से मरीजों की मौत का सिलसिला शुरू हुआ जो मंगलवार शाम तक जारी रहा। इनमें रायबरेली निवासी 40 वर्षीय महिला, अयोध्या की 52 वर्षीय महिला और लखीमपुर खीरी निवासी 50 वर्षीय महिला की जान चली गई। 

हरदोई के 37 वर्षीय पुरुष ने भी इसी बीमारी से दम तोड़ दिया। केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक मंगलवार को ब्लैक फंगस पीड़ित तीन मरीजों को भर्ती किया गया है।

 वहीं चार मरीजों के ऑपरेशन किए गए हैं। ब्लैक फंगस को हरा चुके एक मरीज को डिस्चार्ज किया गया है।


तीमारदार दवाओं के लिए भटक रहे, अफसर बेखबर

केजीएमयू में ब्लैक फंगस के मरीजों को समुचित इलाज हासिल करने में अड़चन आ रही है।

 तीमारदारों का आरोप है कि ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं केजीएमयू में नहीं मिल पा रही हैं। 

परिसर में खुले मेडिकल स्टोर में भी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं।  अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक व उप चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय मरीजों को दवाएं उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हो रहा है।

 ब्लैक फंगस पीड़ितों के इलाज में जरूरी इंजेक्शन के लिए तीमारदार भटक रहे हैं। तीमारदारों का आरोप है कि फरियाद के लिए सुबह से शाम तक कई बार चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय पहुंचे। पर, मरीजों से उनकी भेंट ही नहीं हो सकी।

 दवाओं की उपलब्धता के बारे में जानने के लिए केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डी हिमांशु से फोन पर बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।


चिकित्सा शिक्षा मंत्री के निर्देशों की अनदेखी

सरकार लगातार कोरोना व ब्लैक फंगस मरीजों को बेहतर इलाज व सुविधा मुहैया कराने का दावा कर रही हैं।

 चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना खुद पीपीई किट पहनकर मरीजों का हाल ले रहे हैं। इसके बावजूद केजीएमयू में मरीजों की सुविधाओं की अनदेखी हो रही है। 


इलाज संग कई जिम्मेदारी निभा रहे डॉक्टर

कोरोना व ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज की ज्यादा जिम्मेदारी मेडिसिन विभाग पर है। केजीएमयू मेडिसिन विभाग में 21 डॉक्टरों के पद हैं। 

इनमें 17 डॉक्टर ही तैनात हैं। पांच पद खाली पड़े हैं। विभाग के डॉक्टर कई जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

 डॉ. डी हिमांशु मरीजों की जिम्मेदारी संग चिकित्सा अधीक्षक पद भी संभाल रहे हैं। दिन में कई बैठकों में हिस्सा लेते हैं।


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