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शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने का वादा नहीं हुआ पूरा, शिक्षा मित्रों की स्थिति बेहद खराब अब ट्विटर पर वादा याद दिलाओ अभियान शुरू

उच्चतम न्यायालय से शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक पद का


समायोजन रद्द होने के बाद शिक्षा मित्रों की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। 

समायोजन रद्द होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस में शिक्षामित्रों के सम्मानजनक जीवन यापन के लिए खुले मंच से वादा किया था।

 केंद्र सरकार के सात वर्ष पूरे हो चुके हैं. लेकिन किया गया वादा अभी तक पूरा नहीं किया गया। 

वादा याद दिलाने के लिए सोमवार से शिक्षामित्रों ने ट्विटर पर वादा याद दिलाओ अभियान चलाया है।

इसमें प्रदेश के सभी शिक्षामित्र परिवार सहित फोटो के साथ प्रधानमंत्री के वक्तव्य को ट्वीट कर रहे हैं। 

सरकार की ओर से रुचि न दिखाए जाने के आरोप शिक्षामित्रों ने लगाए हैं। समायोजन रद्द होने के बाद कई शिक्षामित्र आहत होकर घातक कदम उठा चुके हैं।

 शिक्षामित्रों ने शिक्षक बनाओ अभियान तेज कर दिया है। शिक्षामित्रों ने सोमवार को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, सांसद और भाजपा विधायकों को शिक्षामित्र शिक्षक बनाओ अभियान में ट्वीट किया है। 

शिक्षामित्रों की मांग है कि भारत सरकार की ओर से नौ अगस्त 2017 को पारित अधिनियम में वर्णित अधिकारों से शिक्षामित्रों को आच्छादित करते हुए न्यूनतम अर्हता प्राप्त करने के लिए विशेष छूट दी जाए। 

जैसा कि अधिनियम को क्रियान्वित करके उत्तराखंड की वर्तमान सरकार ने शिक्षामित्रों के जीवन को सुरक्षित किया है। भारत सरकार की संस्था पीएबी की ओर से देश के पैरा टीचरों का निर्धारित मानदेय व हाईकोर्ट के एक आदेश के क्रम में शिक्षामित्रों को नियत मानदेय 38,878 रुपए प्रदान किए जाएं।

 शिक्षामित्रों का कहना है कि सरकार चाहे तो 1,65,000 शिक्षामित्रों के परिवारों में खुशियां लौट सकती है।


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