क्या आपको प्रसामान्यीकरण (Normalization) प्रक्रिया की
जानकारी है? क्या आप इस प्रोसेस के फायदे और नुकसान से वाकिफ हैं? क्या आप जानते हैं कि इस प्रक्रिया में किस प्रणाली को अपनाकर उम्मीदवारों को समान अंक देकर मेरिट बनाई जाती है?
आज हम इस आर्टिकल में इन्हीं तमाम सवालों के जवाब आपको बेहद ही आसान भाषा में समझाने का प्रयास करने जा रहे हैं।
आपको बता दें कि जब किसी भर्ती का आयोजन किया जाता है तो आयोजित की जाने वाली भर्ती में लाखों की संख्या में उम्मीदवारों के द्वारा आवेदन किए जाते हैं फिर वे परीक्षाएं रेलवे (Railway) या एसएससी (SSC) की हो, या फिर किसी राज्य सरकार के द्वारा निकाली गई भर्ती जैसे यूपी पुलिस कांस्टेबल या एसआई की।
आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी उम्मीदवारों को परीक्षा के लिए बुलाया जाता है। चूंकि परीक्षा के लिए लाखों अभ्यर्थियों ने दावेदारी की थी इसलिए सभी का एग्जाम कई पालियों में पूरा कराया जाता है।
ऐसे में सभी पालियों के पेपर भी अलग-अलग प्रश्नों के साथ बनाए जाते हैं।
अब इन सभी पेपर का समान मूल्यांकन करने के लिए भर्ती आयोग या भर्ती बोर्ड के जरिए जो पद्धति अपनाई जाती है उसे ही प्रसामान्यीकरण या (Normalization) प्रक्रिया कहा जाता है।
आईए जानते हैं कैसे होता है प्रसामान्यीकरण
मान लीजिए किसी भर्ती में 900 उम्मीदवारों ने आवेदन किया है, जिनकी परीक्षाएं क्रमश: पाली प्रथम, द्वितीय और तृतीय पाली में सम्पन्न कराई गई है जिसमें प्रति पाली 300 सौ के हिसाब से अभ्यर्थियों को बैठाया गया था।
अब प्रथम पाली के परीक्षार्थियों को मिले कुल अंकों का औसत निकाल लिया जाता है इसी तरह दूसरी और तीसरी पाली के परीक्षार्थियों को प्राप्त कुल अंकों का औसत भी निकाल लिया जाता है।
अब जिस पाली के उम्मीदवारों को सबसे अधिक अंक प्राप्त होते हैं उसकी तुलना में कम नंबर पाने वाली पाली के अभ्यर्थियों उतने ही नंबर अधिक दे दिए जाते हैं और इसके बाद प्रत्येक वर्ग के हिसाब से एक अधिकतम कटऑफ़ घोषित कर दिया जाता है।
PET में प्रसामान्यीकरण लागू होना से किन्हें होगा फायदा
आपको बता दें कि उतर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने पहली बार लागू की गई प्रारम्भिक अहर्ता के लिए होने वाली परीक्षा की तारीखों का ऐलान कर दिया है।
आयोग ने इस परीक्षा को 20 अगस्त को कराने का फैसला लिया है।
चूंकि इस एग्जाम के लिए करीब 21 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया है जिस कारण इस परीक्षा का आयोजन दो पालियों में किया जाना है।
ऐसे में जिन पाली के परीक्षार्थियों का पेपर आसान होगा उनके अंक तो ज्यादा आएंगे पर प्रसामान्यीकरण प्रक्रिया के बाद उनके नंबर कम हो जाएंगे जबकि इसकी विपरीत परीक्षार्थियों के अंक तो कम आएंगे लेकिन इस प्रॉसेस के लागू होने के पश्चात उनके नंबर बढ़ जाएंगे।
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