प्रयागराज : फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों
से वेतन के रूप में लिए गए तकरीबन ढाई करोड़ रुपये की रिकवरी सालभर में नहीं हो सकी।
बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय कुशवाहा ने बीती एक जुलाई को खंड शिक्षाधिकारियों को निर्देशित किया था कि सेवा से बर्खास्त शिक्षकों पर संबंधित थाने में एफआईआर कराते हुए रिकवरी की जाए। लेकिन अब तक एक रुपये की वसूली नहीं हो सकी है।
2017 से 2020 तक तीन साल में 61 परिषदीय शिक्षकों को बर्खास्त किया गया था।
सत्यापन और जांच के दौरान फर्जीवाड़ा का पता लगने पर इनकी सेवाएं समाप्त की गई थी। इनमें से 52 के खिलाफ अलग-अलग थानों में एफआईआर दर्ज कराई गई।
बेसिक शिक्षा निदेशक ने बर्खास्त शिक्षकों के खिलाफ रिकवरी सर्टिफिकेट जारी करते हुए उसकी कॉपी भी मांगी थी। कार्रवाई नहीं करने पर खंड शिक्षाधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे।
बीएसए ने 19 दिसंबर 2019 को भी खंड शिक्षाधिकारियों को एफआईआर और वसूली के निर्देश दिए थे। लेकिन खंड शिक्षाधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की।
बीएसए का कहना है कि बर्खास्त शिक्षकों की रिकवरी का आगणन करने पर तकरीबन ढाई करोड़ आ रहे थे। इनमें से 13 शिक्षक ऐसे थे जिनका वेतन नहीं लगा था।
अधिकांश शिक्षकों ने डेढ़ से दो साल वेतन लिया था। कुछ के खिलाफ आरसी जारी हुई तो वे कोर्ट चले गए। अब कोर्ट में पैरवी हो रही है ताकि वसूली हो सके।
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